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शुक्रवार, 29 जून 2012

जिसमे न हो बड़प्पन वो कैसा बड़ा है !

जिसमे न हो बड़प्पन वो कैसा बड़ा है !

पत्थर ही मारना है तो देख ले पहले;
जो सामने खड़ा है वो शख्स कौन हैं ?

शीशे के हम नहीं कि टूट जायेंगे ;
फौलाद भी पूछेगा इतना सख्त कौन है ?

जिसमे न हो बड़प्पन वो कैसा बड़ा है !
ये रूप है बड़ो का तो बच्चा कौन है ?

हमको तो गिना दी हमारी खताएं सब ;
पर अपनी एक खता भी देखता कौन है ?

लो ख़त्म हुआ आज से सलाम व् दुआ ;
मुश्किल है अब पहचानना कि कौन कौन है ?
शिखा कौशिक




3 टिप्‍पणियां:

वाणी गीत ने कहा…

बढ़िया !

vandana gupta ने कहा…

सच कहा

रविकर ने कहा…

बढ़िया भाव |
आभार ||