ले कावड चल हरिद्वार चल ....

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हरिद्वार से ला गंगा जल ,
गंगा जल शिवलिंग पर चढ़ाना ;
मन की मुरादें शिव से पाना .
ले कावड चल हरिद्वार चल ....
सब मासों में मास निराला ;
श्रावण मास है शिव को प्यारा ,
शिव महिमा जो इसमें गाता ;
मन चाहा वर शिव से पाता ,
शिव चरणों में शीश झुकाना .
मन की मुरादें शिव से पाना ;
ले कावड चल हरिद्वार चल !
शिव मेरा भोला भंडारी ;
हर लेता विपदाएं भारी ,
ये हैं आदिदेव कामारि ;
ये शंकर ये हैं त्रिपुरारी ,
बम भोले कह गगन गुंजाना .
मन की मुरादें शिव से पाना .
ले कावड चल हरिद्वार चल ....
जय गौरी शंकर की !
शिखा कौशिक