छोड़ प्राण का मोह हमें अब लड़ना होगा !
बाहुबल से आर-पार अब लड़ना होगा !!
कब तक बेटे -पिता -भाई हम ऐसे खोयें ?
हर अपराधी को फाँसी अब चढ़ना होगा !!
'राजा ' है हत्यारा जनता क़त्ल हो रही !
सिंहासन के टुकड़े करने को बढ़ना होगा !!
जनता के सेवक ही सिर पर चढ़ कर बैठे !
इन्हें उतरकर जन-चरणों में पड़ना होगा !!
बाहुबल की काट दो बाहु फिर बल कैसा ?
'नूतन'इनको जेलों में अब सड़ना होगा !!
शिखा कौशिक 'नूतन'
3 टिप्पणियां:
you are right .well said shikha ji .
उन्नत परंतु असंभव विचार।
फांसी रेयरेस्ट मामलों में होती है। ग़ुंडों द्वारा मार देना तो आम बात है।
बदलाव के लिए बहुत सी बातों को बदलना पड़ेगा। लोग सुविधा के हिसाब से बदल भी रहे हैं। एक नस्ल के बाद रही सही बातें भी बदल जाएंगी।
बदलाव बहुत ही जरूरी है,सार्थक प्रस्तुति.
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