भरी दुपहरी जेठ की या सावन की बौछार ,
रोज हाथ में 'रोज़' लिए करते इंतजार !
सोते-जागते सुबह-शाम इसकी रहती है खोज ,
प्रॉमिस करते बड़े बड़े ,करते इसको प्रपोज़ !
गले लगाने को इसे हम सब हैं तैयार ,
पहने फूलों के हार भी जूतों की खाते मार !
अमर प्रेम इससे हमें करते हैं स्वीकार ,
चंचल चित्त की प्रेमिका प्रेमी बदले हर बार !
मेहरबान जिस प्रेमी पर उसकी बनती सरकार ,
नेताओं की प्रेमिका ''सत्ता'' की जय जयकार !!!
शिखा कौशिक 'नूतन'
6 टिप्पणियां:
बहुत ही सुंदर व्यंगात्मक प्रस्तुती,आभार।
सुन्दर और सार्थक अभिव्यक्ति !!
यह तो बहुत बढ़िया है आदरेया-
एक यह भी देखें-
सत्तावन जो कर रहे, जोड़ा बावन ताश ।
चौका (4) दे जन-पथ महल, *अट्ठा(8) पट्ठा पास । |
सत्तावन=ग्रुप ऑफ़ मिनिस-- अट्ठा= कूट-नैतिक सलाह---
पट्ठा = जवान-लड़का सिंह इज किंग
अट्ठा(8) पट्ठा पास, किंग(K) पंजा(5) से दहला(10)।
रानी(Q)नहला(9)जैक(J), देख छक्का(6) मन बहला । |
नहला=ताजपोशी के लिए नहलाना
दुक्की(2) तिग्गी(3)ट्रम्प, हिला ना *पाया-पत्ता ।
खड़ा ताश का महल, चढ़े इक्के(A) पे सत्ता (7)।।
*खम्भा
बहुत बढ़िया व्यंगात्मक अभिव्यक्ति
बधाई
आभार
रोचक एकदम सही बात कही है आपने मीडियाई वेलेंटाइन तेजाबी गुलाब आप भी जाने संवैधानिक मर्यादाओं का पालन करें कैग
मेरे ब्लोग्स संकलक (ब्लॉग कलश) पर आपका स्वागत है,आपका परामर्श चाहिए.
"ब्लॉग कलश"
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