गंवार लड़की ? -लघु कथा
कॉलेज कैंटीन में बैठे रिकी और रॉकी अपनी ओर आती हुई सुन्दर लड़की को देखकर फूले नहीं समां रहे थे .लड़की ने उनके पास आकर पूछा -''भैया ! अभी अभी कुछ देर पहले मैं यही बैठी थी ....मेरी रिंग खो गयी है ...आपको तो नहीं मिली ?''रॉकी और रिकी ने बुरा सा मुंह बनाकर मना कर दिया .उसके जाते ही रिकी रॉकी से बोला -''हाउ विलेजर सही इज ?[यह कितनी गंवार है ?]हमें भैया बोल रही थी !''रिकी व् रॉकी कॉलेज में मस्ती कर अपने अपने घर लौट गए .घर पर रिकी ने अपनी छोटी बहन सिमरन को उदास देखा तो बोला -''व्हाट डिड हैपेन सिस ?तुम इतना सैड क्यों हो ?'सिमरन झुंझलाते हुए बोली -''भैया आज कॉलेज में मेरी क्लास के एक लड़के की नोटबुक क्लास में छूट गयी ....मैंने देखी तो दौड़कर उसे पकड़ाने गयी ...पर वो तो खुश होने की जगह गुस्सा हो गया क्योंकि मैंने उसे ''भैया ''कहकर आवाज दी थी .बोला ''भैया किसे बोल रही हो ?हाउ विलेजर आर यू ?'मुझे बहुत गुस्सा आया उस पर .''रिकी अपनी मुट्ठी भीचता हुआ बोला -''कमीना कहीं का ... मेरी बहन पर लाइन मार रहा था ....सिमरन उस कमीने से अब कभी बात मत करना !!!
शिखा कौशिक
[मेरी कहानियां ]
11 टिप्पणियां:
यही है दोगला चरित्र इंसान का
जब खुद की ड़ाल पर उल्लू बैठा तो तिलमिला गया .....बहुत अच्छी संदेशपरक कहानी है शिखा जी
इसे अपंगता कहें आधुनिकता की!! बेचारे मूर्ख समझ ही नहीं पाते अपने दो्गलेपन को!!
बहुत बढ़िया ..... दोहरी मानसिकता इसे ही कहते हैं
दोहरी मानसिकता के लोग
बहूत हि बढीया ,शानदार लघु कथा....
बहुत सुन्दर...चरित्र के दोगलेपन का सटीक चित्रण...
यही है आधुनिकता ।
चिरकुट आदमी का दोहरा रंग....
सन्देश परक अच्छी बुनावट लिए आती है आपकी पोस्ट .दोहरे मानदंडों को आलोकित करने की माहिरी है इस लघु कथा में .
ram ram bhai
रविवार, 20 मई 2012
कब असरकारी सिद्ध होता है एंटी -बायटिक : ये है बोम्बे मेरी जान (तीसरा भाग ):
hai to dohre mansikta ki baat, par samanyatah shayad rag rag me baith gayee...!!
जब अपने पर आती है तब हम चेतते हैं. दोहरी मानसिकता.
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