फ़ॉलोअर

शनिवार, 15 सितंबर 2012

श्री गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनायें !




                                श्री गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनायें !
                                             
... ashta...
कैप्शन जोड़ें
हे अष्टविनायक तेरी जय जयकार !
हे गणनायक !  तेरी जय जयकार  !
हे गौरी सुत ! हे शिव  नंदन !
तेरी महिमा  अपरम्पार   
हे अष्टविनायक तेरी जय जयकार  !
प्रथम विनायक   वक्रतुंड है सिंह सवारी  करता   ;
मत्सर असुर का वध कर दानव भगवन पीड़ा सबकी हरता ,
हे गणेश तेरी जय जयकार ! 
हे शुभेश तेरी जय जयकार !
द्वितीय विनायक एकदंत मूषक की करें सवारी ;
मदासुर का वध कर हारते विपदा सबकी भारी ,
हे गजमुख  तेरी जय जयकार 
हे सुमुख तेरी जय जयकार .
नाम महोदर तृतीय विनायक मूषक इनका  वाहन  ;
मोहसुर का नाश ये  करते इनकी महिमा पावन ,
हे विकट तेरी जय जयकार !
हे कपिल तेरी जय जयकार !
चौथे रूप में प्रभु विनायक धरते नाम गजानन ;
लोभासुर संहारक हैं ये मूषक इनका वाहन ,
हे गजकर्णक तेरी जय जयकार !
हे धूम्रकेतु तेरी जय जयकार ! 
Ashtavina...
प्रभु   विनायक  पंचम रूप लम्बोदर  का धरते ;
करें सवारी मूषक की क्रोधासुर  दंभ हैं हरते ,
हे गणपति तेरी जय जयकार !
हे गजानन तेरी जय जयकार ! विकट नाम के षष्ट विनायक सौर ब्रह्म के धारक ;
है मयूर वाहन इनका ये कामासुर संहारक ,
हे गणाध्यक्ष तेरी जय जयकार !
हे अग्रपूज्य तेरी जय जयकार !
विघ्नराज अवतार प्रभु का सप्तम आप विनायक ;
वाहन शेषनाग है इनका ममतासुर  संहारक ,
हे विघ्नहर्ता तेरी जय जयकार !
हे विघ्ननाशक तेरी जय जयकार !
धूम्रवर्ण हैं अष्टविनायक शिव ब्रह्म  रूप  प्रभु का ;
अभिमानासुर संहारक मूषक वाहन है इनका ,
हे महोदर  तेरी जय जयकार !
हे लम्बोदर तेरी जय जयकार !
                                               

                                श्री गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनायें !
                                              शिखा कौशिक 

रविवार, 9 सितंबर 2012

मानस के रचनाकार में भी पुरुष अहम् भारी


Stamp on Tulsidas
सात कांड में रची तुलसी ने ' मानस '  ;
आठवाँ लिखने का क्यों कर न सके साहस ?

आठवे में लिखा  जाता  सिया  का विद्रोह  ;
पर त्यागते  कैसे  श्री राम यश का मोह ?

लिखते अगर तुलसी सिया का वनवास ;
घटती राम-महिमा उनको था विश्वास .

अग्नि परीक्षा और शुचिता प्रमाणन  ;
पूर्ण कहाँ इनके बिना होती है रामायण ?

 आदिकवि  सम  देते  जानकी  का  साथ ;
अन्याय को अन्याय कहना है नहीं अपराध . 

लिखा कहीं जगजननी कहीं  अधम नारी ;
मानस के रचनाकार में भी पुरुष अहम् भारी .

तुमको दिखाया पथ वो  भी  थी एक नारी ;
फिर कैसे लिखा तुमने ये ताड़न की अधिकारी !

एक बार तो वैदेही की पीड़ा को देते स्वर ;
विस्मित हूँ क्यों सिल गए तुलसी तेरे अधर !

युगदृष्टा -लोकनायक गर ऐसे रहे मौन ;
शोषित का साथ देने को हो अग्रसर कौन ?

भूतल में क्यूँ समाई  सिया करते स्वयं मंथन ;
रच काण्ड आँठवा करते सिया का वंदन .  

चूक गए त्रुटि शोधन  होगा नहीं कदापि ;
जो सत्य न लिख पाए वो लेखनी हैं पापी .


हम लिखेंगे सिया  के विद्रोह  की  कहानी ;
लेखन में नहीं चल सकेगी पुरुष की मनमानी !!

                                  शिखा कौशिक 'नूतन'


रविवार, 2 सितंबर 2012

शत शत नमन सद्गुरु के चरणों में !

शत शत नमन   सद्गुरु  के  चरणों  में !
happy teachers day Teachers Day Latest SMS,Poems,Greetings & Wallpapers in 2011.teachers day card Teachers Day Latest SMS,Poems,Greetings & Wallpapers in 2011.  सद्गुरु  के  चरणों  में हम शीश  धरते हैं  श्रद्धा  अवनत  होकर   प्रणाम  करते   हैं .  आपने हरा अज्ञान  का है तम  पूजनीय हैं आप सर्वप्रथम  आपकी महिमा का गुणगान करते हैं  श्रद्धा अवनत होकर प्रणाम करते हैं . सत्य  का पथ आपने दिखाया  माया मोह के जाल से  बचाया      करबद्ध  हो सम्मान करते हैं  श्रद्धा अवनत होकर प्रणाम करते हैं . पग पग पर परे  किया निर्देशन     अहर्निश हमारा किया मार्गदर्शन        आप हैं महान विद्यादान करते हैं श्रद्धा अवनत होकर प्रणाम करते हैं . आपको करते हैं शत शत नमन   आपने सँवारा  हमारा जीवन      आप जैसे  गुरु पर अभिमान करते हैं   श्रद्धा अवनत होकर प्रणाम करते हैं .                                       शिखा कौशिक  images Teachers Day Latest SMS,Poems,Greetings & Wallpapers in 2011.images 1 Teachers Day Latest SMS,Poems,Greetings & Wallpapers in 2011.

गुरुवार, 30 अगस्त 2012

मेरे शहर में ....मेरे देश में ...मेरी दुनिया में.. मेरे घर से ज्यादा क्या खूबसूरत हो सकता है !



ये बेशकीमती है  ; ये मेरी दुनिया है ,
ये मेरा घर है ,ये ही मेरी दौलत है .

कितनी महफूज़ हूँ इसके आँगन की बांहों में ;
ये मेरा घर है  ,ये ही मेरी अस्मत  है .

पाक चौखट है इसकी ;  मेरा इबादतखाना है  ,
ये मेरा घर है  , ये ही मेरी मन्नत है .

यहाँ बसी हैं बचपन की सारी यादें कोने कोने में ;
ये मेरा घर है ,ये ही मेरी किस्मत है .

ना दूर रहकर इससे दिल को सुकून आता है ,
ये मेरा घर है  ,ये ही मेरी ज़न्नत है .
                                             शिखा कौशिक ''नूतन ''

रविवार, 26 अगस्त 2012

धिक्कार इस जनतंत्र पर !


धिक्कार इस जनतंत्र पर !



है विषमता ही विषमता  
जाती जिधर  भी है नज़र ,
कारे खड़ी  गैरेज में हैं  
और आदमी फुटपाथ  पर  .

एक तरफ तो सड़ रहे 
अन्न के भंडार हैं ,
दूसरी तरफ रहा 
भूख से इंसान मर    
 है विषमता ही विषमता  


निर्धन कुमारी ढकती तन 
चीथड़ों को जोड़कर
सम्पन्न बाला उघाडती  
कभी परदे पर कभी  रैंप पर 
 है विषमता ही विषमता  

मंदिरों में चढ़ रहे 
दूध रुपये मेवे फल  ,
भूख से विकल मानव 
भीख मांगे  सडको  पर 
 है विषमता ही विषमता  

कोठियों में रह रहे  
जनता के सेवक ठाठ से  ,
जनता के सिर पर छत नहीं 
धिक्कार इस जनतंत्र पर !

                      शिखा कौशिक