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गुरुवार, 22 नवंबर 2012

मेरी बेटी ने लिया जन्म

एक बेटी को जन्म देने वाली माता के भावों को इस रचना के माध्यम से प्रकट करने का प्रयास किया है -
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मेरी बेटी ने लिया जन्म ; मैं समझ पायी ,
सारी  जन्नत  ही मेरी गोद में सिमट आई .

उसने जब टकटकी लगाकर मुझे देख लिया ,
ख़ुशी इतनी मिली कि दिल में न समां पाई  .

 मखमली हाथों से छुआ चेहरा मेरा ,
मेरे तन में लहर रोमांच की सिहर आई .


 मुझे 'माँ' बनने की ख़ुशी दी मेरी बेटी ने ,
'जिए सौ साल ' मेरे लबो पर ये दुआ आई .



 मुझे फख्र है मैंने जन्म दिया बेटी को ,
आज मैं क़र्ज़ अपनी माँ का हूँ चुका पाई .

                               शिखा कौशिक 'नूतन'


मंगलवार, 17 जुलाई 2012

बेटा मस्ती ...बेटी एक जबरदस्ती है


बेटा  मस्ती  ...बेटी  एक  जबरदस्ती  है 

मंहगाई  के   दौर  में भी  कितनी  सस्ती  है ;
जान  बेटियों  की  सब्जी  से भी सस्ती है .
कोख  में आई  कन्या इसको क़त्ल करा   दो ;
जन्म दिया  तो  फाँस गले में आ फंसती है .
क़त्ल किया  कन्या का  इसने ..उसने   ..सबने   ;
मैं कैसे रूक जाऊं  मेरी  क्या हस्ती  है ?
बेटी के  कारण  झुकते  हैं बाप  के  कंधे ;
इसी सोच   की   फांसी   बेटी को  लगती है .
''कन्या भ्रूण  बचाओ ''नारों   से क्या होता  ?
बेटा  मस्ती  ...बेटी  एक  जबरदस्ती  है .
                                                              क्या आप इन बातों  से  सहमत  हैं  ?.....
                                                                    शिखा  कौशिक 
                                                       [विख्यात ]