मौत का खौफ उसे होता ही नहीं ;
जो बहुत हादसों से गुजरा है .
सुना रही थी वो दर्द अपना रोते-रोते
मगर दुनिया की नजर में वो एक मुजरा है .
परायों की बेरुखी के परवाह है किसे ?
यहाँ तो अपनों की बेवफाई का खतरा है .
जिन्दगी भर समझता रहा खुद को दरिया ;
आखिरी साँस में समझा कि तू एक कतरा है .
जलील करके हमें घर से निकालाजिसने
कहें कैसे कि वो ''जिगर का टुकड़ा है '.
सच को सच कहने का हौसला न रहा ;
कैसी मजबूरियों ने आकर हमें जकड़ा है .
शिखा कौशिक