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इससे शर्मनाक कुछ नहीं हो सकता है .शहीद -ए-आज़म के नाम पर एक चौराहे के नाम रखने तक में पाकिस्तान में आपत्ति की जा रही है .जिस युवक ने देश की आज़ादी के खातिर प्राणों का उत्सर्ग करने तक में देर नहीं की उसके नाम पर एक चौराहे का नाम रखने तक में इतनी देर ....क्या कहती होगी शहीद भगत सिंह की आत्मा ?यही लिखने का प्रयास किया है -
हिन्दुस्तानी होने का बस अपना फ़र्ज़ निभाया था .
तब नहीं बँटा था मुल्क मेरा भारत -पाकिस्तान में ,
थी दिल्ली की गलियां अपनी ; अपना लाहौर चौराहा था .
पंजाब-सिंध में फर्क कहाँ ?आज़ादी का था हमें जूनून ,
अंग्रेजी अत्याचारों से कब पीछे कदम हटाया था ?
आज़ाद मुल्क हो हम सबका; क्या ढाका,दिल्ली,रावलपिंडी !
इस मुल्क के हिस्से होंगे तीन ,कब सोच के खून बहाया था !
नादानों मैं हूँ ' भगत सिंह ' दिल में रख लेना याद मेरी ,
'रंग दे बसंती ' जिसने अपना चोला कहकर रंगवाया था .
बांटी तुमने नदियाँ -ज़मीन ,मुझको हरगिज़ न देना बाँट ,
बांटी तुमने नदियाँ -ज़मीन ,मुझको हरगिज़ न देना बाँट ,
कुछ शर्म करो खुद पर बन्दों ! बस इतना कहने आया था !!!
जय हिन्द !
शिखा कौशिक 'नूतन '