मर्द बोला हर एक फन मर्द में ही होता है ,
औरत के पास तो सिर्फ बदन होता है .
फ़िज़ूल बातों में वक़्त ये करती ज्जाया ,
मर्द की बात में कितना वजन होता है !
हम हैं मालिक हमारा दर्ज़ा है उससे ऊँचा ,
मगर द्गैल को ये कब सहन होता है ?
रहो नकाब में तुम आबरू हमारी हो ,
बेपर्दगी से बेहतर तो कफ़न होता है .
है औरत बस फबन मर्द के घर की 'नूतन'
राज़ औरत के साथ ये भी दफ़न होता है .
शिखा कौशिक 'नूतन'
[द्गैल -धोखेबाज़ , फबन-सज सज्जा ]
5 टिप्पणियां:
बढ़िया प्रस्तुति |
बधाई स्वीकारें-
अच्छी प्रस्तुति !:)
मगर आज इस सच को भी नकारा नहीं जा सकता है कि औरत कई क्षेत्रों में मर्द के साथ क़दम से क़दम मिलकर चल रही है... और हम औरतों को इस बात पर गर्व भी होना चाहिए ... :-)
~सादर !!!
अच्छी प्रस्तुति !:)
मगर आज इस सच को भी नकारा नहीं जा सकता है कि औरत कई क्षेत्रों में मर्द के साथ क़दम से क़दम मिलकर चल रही है... और हम औरतों को इस बात पर गर्व भी होना चाहिए ... :-)
~सादर !!!
बहुत बढ़िया प्रस्तुति।
मुझे इतनी उर्दू तो समझ नहीं आई, मगर जितना समझा उससे ये तो कह सकता हूँ कि औरत के बारे में निम्न सोच रखनेवाले पुरुष शायद सही मायने में पुरुष ही नहीं हैं ...
सादर
मधुरेश
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