ना राहों का पता है
ना मंज़िल का पता है ;
ये ज़िन्दगी है प्यारे !
इसे जीने में मज़ा है .
अपनों के संग हंस ले ;
अपनों के संग रो ले ;
अपनों में बाँट खुशियाँ ;
अपनों से दर्द कह ले ;
अपने ही साथ न हो
तो जीवन बेमज़ा है
ये ज़िन्दगी है ........
सबकी है जुदा कहानी ;
ये तो है बहता पानी ;
कभी तपती आग सी है ;
कभी लगती बड़ी सुहानी ;
इसे जी ले मानकर ये
यही मालिक की रज़ा है .
ये ज़िन्दगी ....................
शिखा कौशिक
[विख्यात]
4 टिप्पणियां:
वाह...बहुत ही बढ़िया।
सादर
वाह...बहुत ही बढ़िया।
जीना इसी का नाम है....
सबकी है जुदा कहानी ;
ये तो है बहता पानी ;
बहुत सुन्दर
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