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सोमवार, 27 फ़रवरी 2012

ये ज़िन्दगी है प्यारे !

अंजली

ना राहों का पता है 
ना मंज़िल का पता है ;
ये ज़िन्दगी है प्यारे !
इसे जीने में मज़ा है .
epiphyllum
अपनों के संग हंस ले ;
अपनों के संग रो ले ;
अपनों में बाँट खुशियाँ ;
अपनों से दर्द कह ले ;
अपने ही साथ न हो 
तो जीवन बेमज़ा है 
ये ज़िन्दगी है ........



सबकी है जुदा कहानी ;
ये तो है बहता पानी ;
कभी तपती आग सी है ;
कभी लगती बड़ी सुहानी ;
इसे जी ले मानकर ये 
यही मालिक की रज़ा है .
ये ज़िन्दगी ....................


                                     शिखा कौशिक 
                                [विख्यात]



4 टिप्‍पणियां:

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

वाह...बहुत ही बढ़िया।


सादर

Shalini kaushik ने कहा…

वाह...बहुत ही बढ़िया।

Pallavi saxena ने कहा…

जीना इसी का नाम है....

M VERMA ने कहा…

सबकी है जुदा कहानी ;
ये तो है बहता पानी ;

बहुत सुन्दर