शेरावाली शेर पर सवार होकर आ ;
हाथों में शंख -तलवार लेकर आ;
दुष्टों का करने संहार माता आ ;
भक्तों के खाली भंडार भरने आ ;
एक बार आ मैया बार बार आ !
दुर्गा रूप में दुर्गम संकट को हरने वाली ;
चंडी रूप में दुष्टों का मर्दन करने वाली ;
तू रमा ,उमा ,ब्रहमाणी का रूप धर कर आ !
एक बार .......
अपनी माया से माता दुष्टों की प्रज्ञा हरती ;
ये देवी सब भक्तों की बुद्धि प्रकाशित करती ;
तू गौरी;काली;शर्वाणी का रूप धर कर आ !
एक बार ........
हे ईशा !हम भक्तों को इस भव सागर से तार ;
सुन ले अब जगदम्बा हम सबकी करुण पुकार;
तू शिवा,जया और भीमा का रूप धर कर आ !
एक बार आ .......................
जय माता दी !
शिखा कौशिक
[भक्ति-अर्णव ]
एक बार आ .......................
जय माता दी !
शिखा कौशिक
[भक्ति-अर्णव ]
1 टिप्पणी:
aajkal to desh me bhrashtachar roopi rakshas khula ghoom raha hai abhi to mata ko hi aana padega.jay mata di.
एक टिप्पणी भेजें